
UTTRAKHAND GK:जनपद दर्शन (CHAMPAWAT)
UTTRAKHAND GK:जनपद दर्शन के इस अंक में आज चंपावत जिले के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी को सम्मिलित किया गया है.उत्तराखंड के पहले स्वतंत्रता संग्रामी कालू मेहरा की जन्म भूमि और चंद राजाओं की राजधानी रही चंपावत क्षेत्र की अपनी विशिष्ट भौगोलिक सरंचना है.
UTRAKHAND GK: प्रतियोगिता पथ के तीसरे अंक में आपका पुनः स्वागत है.हमने पाठकों की सुविधा के लिए उत्तराखंड के सामान्य ज्ञान की नई सीरीज ‘जनपद दर्शन’को शुरू किया है.इस सीरीज से परीक्षार्थियों को काफी मदद मिलने वाली है.एक बड़ी और मोटी किताब को पढ़ने जब हम बैठते हैं,बहुत बड़ा बोझ महसूस होता है,और हम उस मोटी पुस्तक से ऊबने लगते हैं.
पाठकों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने इस नई तकनीक का प्रयोग किया है.UTTRAKHAND GK:जनपद दर्शन की सोच को हमारे सहयोगी श्री रवि इंदुस के द्वारा लाया गया है.उनकी कठिन मेहनत और लगन से ही हम इस प्रकार एक नई प्रतियोगिता पथ को तैयार करने का प्रयास कर रहे है.आपको ये अंक कैसे लग रहे हैं,अपने सुझाव अवस्य दें.आशा है ऐतिहासिक जनपद चंपावत की ये प्रतियोगिता यात्रा आपको लक्ष्य की ओर ले जाएगी.
चंपावत जनपद का संक्षिप्त इतिहास:
चंपावत जिले का गठन 15 सितंबर 1997 को हुआ। चंपावत की स्थापना प्रथम चंद्र शासक सोमचंद ने की थी 1000 ईस्वी से 1563 ईस्वी तक चंद्र वंश के शासकों की राजधानी चंपावती थी। 1563 में राजधानी चंपावत से अल्मोड़ा स्थानांतरित हुई। चंपावत में राजबुंगा का किला सोमचंद ने बनवाया था चंपावत का प्राचीन नाम कुमु है काली नदी होने के कारण इसे कुमु काली भी कहते हैं
इसका मूल नाम चंपावती( चंपावती व गड़कीगाड़ नदी के किनारे होने के कारण) है।
चंपावत के पूर्वी पहाड़ी पर क्रान्तेश्वर महादेव का मंदिर है इसे कूर्मपाद या कानदेव भी कहते हैं। यहां पर विष्णु का कूर्म अवतार शिला है। पश्चिम की तरफ हिंगला देवी तथा नरसिंह देवता का मंदिर है
★ हिंगला देवी मंदिर के भीतर 4 फीट लंबी, 3 फीट चौड़ी तथा 1 फीट ऊंची कूर्मशिला है जिसके आधार पर यह क्षेत्र कुर्मांचल अथवा कुमाऊं कहलाया।
★ चंपावत में चंपावती नामक गांड में सात प्राचीन मंदिर है जिन्हें सप्तेश्वर का मंदिर कहा जाता है
ये- बालेश्वर,डिप्टेश्वर, क्रान्तेश्वर, ताड़केश्वर, ऋषेश्वर, घटकेश्वर तथा मानेश्वर। इन 7 मंदिरों में बालेश्वर का मंदिर सबसे प्रमुख तथा प्राचीन है जिसका मानस खंड में भी उल्लेख है
चंपावत जनपद की भौगोलिक संरचना:
★ चंपावत जिले का क्षेत्रफल 1766 वर्ग किलोमीटर है
★ क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे छोटा जिला है।
★ चंपावत जिले में 2विधानसभा क्षेत्र व 4 विकासखंड है
★ आबादी के मामले में राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है
★ सबसे कम अनुसूचित जाति जनसंख्या वला जिला भी चम्पावत है
चंपावत जिले के प्रमुख स्थल:
लोहाघाट-
लोहावट नदी के किनारे स्थित अपने ऐतिहासिक वैभव के लिए प्रसिद्ध है यहां का वातावरण शांत एवं प्राकृतिक सौंदर्य आकर्षक है देवदार वृक्ष मखमली घास हूं और फूलों से ढके रास्ते हैं अंग्रेजों का यह बहुत प्रिय स्थान था
मायावती आश्रम-
यहां पर स्वामी विवेकानंद को आध्यात्मिक शांति प्राप्त हुई थी तथा उन्होंने 1901 में रामकृष्ण शांति मठ की स्थापना की इससे पूर्व यहां पर अद्वैत आश्रम था।
एक हथिया नौला–
जब चंद राजा ने श्री जगन्नाथ मिस्त्री से बालेश्वर मंदिर बनवाया तो राजा ने ऐसी कला का अन्यत्र प्रचार प्रसार ना हो सके इसी हेतु मिस्त्री का दाहिना हाथ काट दिया तब मिस्त्री ने अपनी लड़की कुमारी कस्तूरी की मदद से बालेश्वर मंदिर से भी ज्यादा भव्य कलात्मक एक ऐतिहासिक नौला( बावली) का निर्माण किया।
UTTRAKHAND GK:चंपावत जनपद प्रमुख किले
बाणासुर का किला- स्थानीय भाषा में इसे मरकोट का किला भी कहते हैं बाणासुर को शिव का अनन्य भक्त माना जाता है।
राजबुंगा का किला- इसे सोमचंद्र ने बनवाया था।
बारकोट का किला- चंपावत में यह किला 12 कोटो से मिलकर बना हुआ ह
चंपावत जनपद के प्रमुख मंदिर :
बालेश्वर महादेव मंदिर- यह मंदिर शिल्प कला की दृष्टि से जिले का सर्वोत्कृष्ट मंदिर है। इस मंदिर में शिव के अलावा कई अन्य मूर्तियां भी हैं यथा मां भगवती चंपा देवी भैरव गणेश मां काली आदि। इस मंदिर समूह का निर्माण 1272 मैं चंद राजाओं ने वास्तुकार जगन्नाथ मिस्त्री की मदद से यह मंदिर बनवाया गया।
क्रान्तेश्वर महादेव- चंपावत नगर की पूर्व में क्रांति स्वर महादेव को समर्पित यह मंदिर एक ऊंचे पर्वत के शिखर पर स्थित है इसे कुर्मापद या कानदेव के नाम से भी जाना जाता है।
पूर्णागिरी मंदिर- पूर्णागिरि शक्तिपीठ टनकपुर से 20 किलोमीटर पिथौरागढ़ से 171 किमी एवं चंपावत से 92 किमी की दूरी पर स्थित है पूरे वर्ष में देश के विभिन्न भागों से दर्शनार्थी आते हैं चैत्र नवरात्र को यहां मेला लगता है
देश में स्थित 108 शक्तिपीठों में से यह भी एक शक्तिपीठ है यहां सती जी की नाभि अंग गिरा था।
इसके अलावा हिंगला देवी मंदिर, हिडिंबा मंदिर, घटोत्कच मंदिर, बाराही मंदिर आदि चंपावत जिले में स्थित है।
मीठा- रीठा साहिब- चंपावत जिले से 70 किमी की दूरी पर यह स्थल है कहा जाता है गुरु नानक देव ने इस स्थान की यात्रा की थी यह स्थल लोधिया व राठिया नदियों के संगम पर स्थित है इस स्थल पर 1960 में गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। गुरुद्वारे के प्रांगण में मीठे मीठे के वृक्ष है।
प्रमुख मेले:
देवीधुरा- कुमाऊं क्षेत्र का यह प्रसिद्ध स्थल( बाराही धाम) चंपावत जिले में स्थित है रक्षाबंधन के अवसर पर यहां अषाढ़ी कौतिक मनाया जाते हैं जिसे बग्वाल मेले के नाम से जाना जाता है यहां मेला पाषाण युद्ध के लिए प्रसिद्ध है इस खेल के बारे में जिम कॉर्बेट ने अपनी पुस्तक मैन ईटर आफ कुमाऊँ में भी लिखा है
पूर्णागिरि मेला– यह प्रसिद्ध मेला चैत्र नवरात्र को होली के दूसरे दिन लगता है लगभग 40 दिनों तक। ऐसी मान्यता है कि माता सती की नाभि इसी स्थान पर गिरी।
इसके अलावा दीप महोत्सव, सूर्य षष्टि मेला, झूला देवी मेला चंपावत जिले में लगते हैं
श्यामलाताल- चंपावती 56 किमी व पिथौरागढ़ से 132 किमी की दूरी पर श्याम ताल स्थित है। इस ताल के तट पर स्वामी विवेकानंद आश्रम स्थित है।
पंचेश्वर बांध परियोजना:
यह परियोजना भारत और नेपाल की संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना है। काली नदी पर। इस बाँध की क्षमता 6480 m.w.है।
ये भी पढ़े—http://उत्तराखंड का प्राचीन इतिहास