UTTRAKHAND GK:जिला चमोली-भाग :2
प्रतियोगिता पथ की इस यात्रा को उत्तराखंड GK: के सामान्य अध्ययन से शुरुआत की गई है.पिछले अंको में जिला दर्शन शुरू किया गया है.UTTRAKHAND GK की इस श्रृंखला में चमोली जनपद की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है.पिछले अंक में चमोली जिले के इतिहास, गठन,और कुछ धार्मिक मेलों का वर्णन किया था.एक ही अंक में संपूर्ण विषय को कवर नहीं किया जा सकता था,इसलिए पाठकों की सुविधा के लिए इसको तीन पार्ट 1,पार्ट 2 ,और पार्ट 3 में बांटा गया.आज पार्ट 2 में देखते हैं चमोली की अन्य रोचक जानकारिय.अगर आपने पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है तो कोई बात नहीं नीचे लिंक पर क्लिक करें.कल के अंक में हम चमोली जिले का पूर्ण अध्ध्यन सामग्री पूरी कर अपलोड कर दंगे.
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भाग-2
चमोली में उत्तराखंड की प्रमुख पर्वत मालाएं:
● राज्य में अधिकांश पर्वत चोटियां चमोली जिले में स्थित है।
● राज्य की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी है जो चमोली जिले में स्थित है जिसकी ऊंचाई 7817 मीटर है।
● राज्य की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कामेट 7756 मीटर।
●माणा चोटी -7272 मी0
●बद्रीनाथ चोटी -7140 मी0
● चौखम्बा चोटी – 7138 मी0
●त्रिशूल चोटी – 7120 मी0
●सतोपंथ पर्वत – 7084 मी0
●दुनागिरी या द्रोणागिरी – 7066 मी0
●गंधमादन पर्वत – 6984 मी0
● हाथी पर्वत – 6727 मी0
● नीलकंठ पर्वत – 6597 मी0
●नंदाघुंघटी पर्वत – 6309 मी0
●गौरी पर्वत – 6250 मी0
●नर पर्वत –5831मी0
●नारायण पर्वत– 5965मी0
● कामेट वह गौरी पर्वत धौली व सरस्वती नदी के मध्य है
● बद्रीनाथ घाटी नर व नारायण पर्वतों के मध्य है
उत्तराँचल: चमोली जनपद के प्रसिद्ध कुंड
● भाप कुंड
तपोवन में गर्म जल कुंड है गर्म पानी वाला तप्त कुंड बद्रीनाथ के पास है। ऋषि कुंड भी चमोली जिले में स्थित है।
● वैतरणी कुंड
गोपेश्वर के पास स्थित है। नंदी कुंड चमोली में ठंडे पानी का कुंड है यह मधुगंगा नदी पर है।
प्रमुख जलप्रपात:-
● वसुंधरा जलप्रपात-
चमोली के माणा के पास अलकनंदा नदी पर है जिसकी ऊंचाई 112 मीटर है
प्रमुख झीलें
विरहीताल(गौना झील)-
यहां चमोली में भीम तलाक से आगे दाहिनी ओर स्थित है ब्रिटिश काल में आज बहुत बड़ी थी लेकिन अब काफी हद तक यहां सूख गई हैं।
सतोपंथ ताल-
बद्रीनाथ से 21 किलोमीटर उत्तर पश्चिम दुर्गम पहाड़ी पर स्थित है इस ताल के तीन कोण हैं मान्यता है कि इन तीनों कोणों में ब्रह्मा विष्णु और महेश ने तपस्या की थी इस ताल के पास सूर्य कुंड और चंद्र कुंड नामक ताल स्थित है अलकनंदा नदी इस ताल से निकलती है।
लोकपाल झील (हेमकुंड)-
चमोली जिले में स्थित इस झील के किनारे सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी इस सरोवर से अलकनंदा की सहायक नदी लक्ष्मण गंगा नदी निकलती है
रूपकुंड-
चमोली जिले के धराली विकासखंड में बेदिनी बुग्याल के निकट स्थित झील का निर्माण शिव पार्वती ने कैलाश जाते हुए किया था मां पार्वती ने अपने सौंदर्य का भाग इसी कुंड में छोड़ दिया था यहां से त्रिशूल और नंदा घुँघटि पहाड़ियां दिखती हैं इस झील को कंकाली ताल या रहस्यमयी ताल भी कहा जाता है।
लिंगाताल-
चमोली के फूलों की घाटी के मध्य स्थित लिंगा ताल के मध्य सुंदर प्लेटो से सुसज्जित टापू है इस साल से कुछ ही दूरी पर (फूलों की घाटी के पास)आछरी ताल है।
मातृकाताल-
फूलों की घाटी में स्थित है इस ताल को देवियों का या मातृशक्ति का ताल भी कहा जाता है
● इसके अलावा होमकुंड ताल नंदाराजजात यात्रा का अंतिम पड़ाव है।
●काकभुशुंडी ताल चमोली के हाथी पर्वत के पास है
●नरसिंह ताल भी चमोली में है।
देव भूमि उत्तराखंड :राष्ट्रीय उद्यान/ वन्यजीव अभ्यारण(चमोली)
● फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान-उत्तराखंड चमोली
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान चमोली में नर एवं गंधमादन पर्वत के मध्य में स्थित है यहां पुष्पावती नदी बहती है फूलों की घाटी की खोज 1931 में फ्रेंड स्माइथ द्वारा की गई फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। यह राष्ट्रीय उद्यान 87.5 वर्ग किमी में फैला है। फ्रेंक स्माइथ की पुस्तक द वैली ऑफ फ्लावर में फूलों की घाटी की चर्चा की गई है यहाँ से फ्रैंक स्माइथ 250 किस्म के खुशबू के बीच अपने साथ ऑस्ट्रेलिया ले गए। फूलों की घाटी को स्कंद पुराण में नंद कानन कहा गया है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में फूलों की घाटी को अलका कहा है।
इस घाटी के उपनाम-केदार ज्यूँ,बैकुंठ, पुष्पावली, फ्रैंक स्माइथ घाटी है।
फूलों की घाटी को 14 जुलाई 2005 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया.
फूलों की घाटी में फूल खिलने का समय जुलाई अक्टूबर माह तक है।
● नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान–
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 ईस्वी में हुई। जिसका क्षेत्रफल 624 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का मुख्यालय जोशीमठ में है इस राष्ट्रीय उद्यान को 1988 ईस्वी में यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल किया गया।
● केदारनाथ वन्य जीव विहार- यह वन्य जीव विहार चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद तक फैला है। इस वन्य जीव विहार की स्थापना 1972 ईस्वी में हुई।
केदारनाथ वन्य जीव विहार राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार है जिसका क्षेत्रफल 957 वर्ग किमी है।
उत्तराखंड GK का यह अंक आपको कैसा लगा अपनी राय अवस्य दें.अगला अंक देहरादून जनपद का है .हमारी कोशिश है कि उत्तराखंड के सभी 13 जनपदों की महत्वपूर्ण सामग्री अपने प्रतियोगी साथियों के लिए तैयार की जाए.आपसे गुजारिस है कि like और share अवस्य कर दें.
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