Basic Uttarakhand gk point backbone :जानें प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण जिला उत्तराकाशी पार्ट 2

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उत्तरकाशी में स्थित प्रमुख उद्यान और अभ्यारण:(Uttarakhand gk point backbone.)

आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से Uttarakhand gk point का ये अंक backbone होने वाला है.हमारी यही कोशिश रहती है कि कम शब्दों में अधिक से अधिक सामग्री उपलब्ध कराई जाए।आज उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित प्रमुख अभ्यारण और उद्यानों का अध्ययन करंगे।राज्य की 6 राष्ट्रीय उद्यानों में से 2 राष्ट्रीय उद्यान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।

गोविंद राष्ट्रीय उद्यान

इसकी स्थापना 1980 में की गई यह राष्ट्रीय उद्यान 472 वर्ग किमी0 क्षेत्र में फैला है।

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इस राष्ट्रीय उद्यान का संचालन राजाजी राष्ट्रीय उद्यान देहरादून से होता है।

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गोविंद राष्ट्रीय उद्यान

यहां भूरा भालू, कस्तूरी मृग ,हिम तेंदुआ, भरल, काला भालू, कोकलास, मोनाल आदि पशु- पक्षी मुख्य आकर्षण है।

गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान

इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1989 में की गई।

गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान 2390 वर्ग किमी0 क्षेत्रफल में फैला है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राष्ट्रीय उद्यान राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।

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 यहाँ प्रमुख वन्य जीवो में हिम तेंदुआ, हिमालयन बालू, कस्तूरी मृग और प्रमुख पक्षियों में मोनाल,ट्रेगोपान आदि हैं।

गोविंद वन्य जीव विहार

यह राज्य का सबसे पुराना वन्य जीव विहार है इसकी स्थापना 1955 में की गई।Uttarakhand gk point की दृष्टि से

यह वन्य जीव विहार 485 वर्ग किमी0 क्षेत्रफल में फैला है।

भारत सरकार की स्नो लेपर्ड परियोजना 1990-91 के तहत गोविंद अभ्यारण को प्रबंधित किया जा रहा है।

 जनपद की प्रमुख झीलें/ ताल

1-नचिकेता ताल

यह ताल उत्तरकाशी के चौरंगी खाल में है इस ताल के किनारे एक छोटा मंदिर भी है जनश्रुति है कि उदल की पुत्र निचिकेता के नाम पर ही इसका नाम निचिकेता पड़ा।

2-डोडीताल

यह ताल उत्तरकाशी जिले में स्थित काफी आकर्षक ताल है 6 कोनों वाला यह ताल सुंदर मछलीयों के लिए प्रसिद्ध है।

भागीरथी की सहायक नदी असी गंगा यहीं से निकलती है

इसी ताल से कुछ दूरी पर बिना जल वाला काणा या अंधाताल  स्थित है।

3-केदारताल

यह ताल गंगोत्री के पास थलैया पर्वत श्रंखला पर स्थित है।

4-सरताल

उत्तरकाशी जिले के बड़कोट में स्थित है।

5-भराडसरताल

इस ताल का जल गहरा नीला है यह ताल उत्तरकाशी व हिमाचल प्रदेश की सीमा पर है।

6-फाचकंडी बयांताल

उत्तरकाशी जिले में स्थित इस ताल का जल उबलता रहता है।

इसके अलावा– खेड़ा ताल, लामा ताल, देवसाड़ी, मंगलाछु ताल, रोही साड़ाताल आदि उत्तरकाशी जिले में स्थित है।

       Uttarakhand gk point focus: जनपद के बुग्याल/ पयार

छोटे-छोटे घास के मैदान( बुग्याल )राज्य में लगभग 3600 मीटर की ऊंचाई में पाए जाते हैं।

बुग्याल को अन्य- पयार, अल्पाइन, पाश्चर आदि नामों से भी जाना जाता है।

जनवरी व सितंबर महीने में जब पशुचारक इन्हीं घास के मैदानों में पशुओं को चराने जाते हैं तो इन्हें पालसी बकरवाल, गुर्जर ,चलघुमंतू भी कहा जाता है।

1-दयारा बुग्याल(Dayara Bugyal)

दयारा बुग्याल
दयारा बुग्याल

यह बुग्याल शीतकाल में स्कीइंग प्रशिक्षण हेतु प्रसिद्ध है

इस बुग्याल को विश्व मानचित्र में लाने का श्रेय पर्वतारोही चंद्रप्रभा एतवाल को जाता है।

शीतकाल में इस बुग्याल में मक्खन की होली होती है जिसे आमतौर पर बटर फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है।

2-केदार कांठा बुग्याल

यह  बुग्याल मखमली घास के लिए प्रसिद्ध है।

3-पवाली कांठा बुग्याल में कई प्रकार की जड़ी बूटियों होने के कारण जैव आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।

4-केदार खर्क बुग्याल उत्तरकाशी में गोमुख के निकट है।

देव दामिनी बुग्याल उत्तरकाशी में यमुनोत्री के निकट स्थित है।

इसके अलावा– चाईसील बुग्याल, पुठरा बुग्याल, कुश कल्याण बुग्याल, तपोवन बुग्याल, सोनगाड़ बुग्याल मानेग बुग्याल,हर की दून आदि  बुग्याल उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।

        जनपद के  प्रमुख मंदिर

उत्तराखंड के प्रसिद्ध चार धामों में से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।

1-विश्वनाथ मंदिर

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विश्वनाथ मंदिर

यह मंदिर उत्तरकाशी के मध्य में स्थित है और यह कत्यूरी शैली का बना हुआ है।

इस मंदिर का जीर्णोद्धा 1857 ई0 में सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी खनेती ने किया।

2-शक्ति मंदिर

यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थापित है।

इस मंदिर में लगभग 6 मीटर ऊंचा एक विशाल त्रिशूल स्थापित है।

शक्ति मंदिर से प्राप्त त्रिशूल लेख में ब्राह्मी एवं शंख लिपि का प्रयोग किया गया है।

3-पोखू देवता का मंदिर

इस मंदिर में देवता के दर्शन करना वर्जित है यहां मंदिर का पुजारी पीठ करके पूजा करता है।

पोखु देवता को कर्ण का प्रतिनिधि व भगवान शिव का सेवक माना जाता है इसे न्याय का देवता भी कहा जाता है।

4-परशुराम मंदिर उत्तरकाशी के मुख्य बाजार में स्थित है इसी के पास भैरव देवता का मंदिर भी है।

5-कल्पकेदार मंदिर गंगोत्री मार्ग पर 240 मंदिर समूह में से केवल एकमात्र मंदिर बचा हुआ है।

6-दुर्योधन का मंदिर उत्तरकाशी के रंवाई क्षेत्र में स्थित है।

इसके अलावा- जयपुर मंदिर, शनि देव का मंदिर, नागणी माता का मंदिर, कंडार देवता, रिंगाली देवी, लक्षेश्वर महादेव मंदिर, आदि उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।

          प्रमुख मेले

1-बिस्सू मेला

यह मेला उत्तरकाशी के टिकोची व किरोली गांव में लगता है।

यह मेला  धनुष बाण के रोमांचकारी युद्ध के लिए प्रसिद्ध है।

2-बाडाहाट का मेला(माघ मेला)

यह मेला प्रतिवर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को लगता है।

माघ मेला उत्तरकाशी में सात-आठ दिनों तक आजाद मैदान में लगता है इस मेले का प्रारंभ हरि महाराज का ढोल करता है। 

3-गेंदुआ मेला

यह मेला पुरोला उत्तरकाशी के नैटवाड़ में लगता है।

गेंदुवा के खेल में सिंगतुर पट्टी के गांव दो दलों में विभक्त हो जाते हैं और मकर संक्रांति के अवसर पर दोनों दलों के बीच गेंदुवा खेल होता है।

4-अठोड़ मेला

यहां मेला उत्तरकाशी की नौगांव में लगता है यह मेला प्रति तीसरे वर्ष लगता है।

यह मेला पशुपालन व्यवसाय से जुड़ा है।

5-लोसर मेला डुंडा उत्तरकाशी में जाड भोटिया से संबंधित है।

इसके अलावा– हरुणी मेला, कंडक मेला, खरसाली का मेला, सेल्कू उत्सव आदि मेले उत्तरकाशी जनपद में लगते हैं।

  प्रमुख परियोजनाएं

1-मनेरी भाली परियोजना -1

90 मेगावाट की मनेरी भाली -1 (तिलोथ)परियोजना 1983 से कार्यरत है यह भागीरथी नदी पर उत्तरकाशी में  है।

2-मनेरी भाली परियोजना- 2

304 मेगावाट की इस परियोजना का निर्माण 1976 में शुरू किया गया था लेकिन धन अभाव के कारण 1990 से निर्माण कार्य रुका हुआ था।

पुनः 2008 से यह परियोजना चालू की गई है।

3-पाला मनेरी परियोजना

400 मेगावाट क्षमता वाली यह जल विद्युत परियोजना भागीरथ नदी पर निर्माणाधीन है।

4-लोहारीनाग पाला परियोजना

उत्तरकाशी में भागीरथी नदी पर इस परियोजना से 520 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने की संभावना है।

5-जखोली संकरी परियोजना  उत्तरकाशी में टोंस की सहायक नदी सूपिन पर 44 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना है।

6-लिमचिगाड़ परियोजना भागीरथी नदी पर बनी है।

7-नटवार-मोरी परियोजना 60 मेगावाट की टोंस नदी पर।

8-करमोली जल विद्युत परियोजना गंगा नदी पर 140 मेगावाट की परियोजना है।

        जिले के प्रमुख संस्थान

1-हिमालयन संग्रहालय

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के अंतर्गत नवंबर 1965 को हिमालयन संग्रहालय की स्थापना की गई।

इस संग्रहालय में गढ़वाल के पारंपरिक आभूषण, पारंपरिक रसोई के बर्तन, वाद्य यंत्र, राज्य में पाई जाने वाली वनस्पतियों तथा जंतुओं का संग्रह किया गया है।

2-नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना 14 नवंबर 1965 में की गई

Uttarakhand gk point
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान।

3-पर्वतीय विकास संस्था नामक स्वयंसेवी संस्था डुंडा उत्तरकाशी में स्थित है।

4-हिमालय पर्यावरण शिक्षा संस्थान टिहरी और उत्तरकाशी जनपद में है।यह संस्था 1995 से जैव विविधता संरक्षण का कार्य करती है।

नोट: Uttarakhand gk point की अगली कड़ी में आगामी एलटी एवं प्रवक्ता परीक्षा के लिए मॉडल पेपर तैयार किया जा रहा है.आप comment कर पता कर सकते हैं।

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