Uttarakhand GK की तैयारी :जनपद टिहरी भाग -1

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uttarakhand GK की तैयारी करें जनपदवार:

प्रिय पाठक गण नमस्कार.आज के अंक में उत्तराखंड सामान्य अध्ययन की तैयारी(uttarakhand GK की तैयारी) के लिए जनपदवार सामग्री तैयार की गई है.lucent की book हो या अन्य कोई भी gk की किताब सभी का संकलन करके एक बेहतरीन सीरीज हम लेकर आये हैं.आज के इस अंक में जिला टिहरी के बारे में अध्ययन करने वाले हैं.

जनपद टिहरी का इतिहास:(History Of Tihari Garhwal)

    उत्तराखंड राज्य की सेवा भर्ती परीक्षा में उत्तराखंड सामान्य ज्ञान की तैयारी(uttarakhand gk की तैयारी) करने से पहले प्रत्येक जनपद के इतिहास जानना जरूरी है.टिहरी जिले का इतिहास भी बहुत रोचक रहा है.देखें एक झलक

     टिहरी नगर की स्थापना 28 दिसंबर 1815 में  सुदर्शन शाह  द्वारा राज्य की राजधानी के रूप में की गई।

यह स्थल को पुराणों में गणेश प्रयाग, त्रिहरि, व केदारखंड में धनुषतीर्थ के नाम से जाना जाता है। पहले यहां घृतगंगा नदी का संगम होता था जो बाद में विलुप्त हो गई।

   भागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर पुराना टिहरी बसा था जो अक्टूबर 2005 में टिहरी डैम में विलीन हो गया वर्तमान नई टिहरी को बौराड़ी गांव में बसाया गया।

   देश की स्वतंत्रता के उपरांत 1 अगस्त 1949 को टिहरी गढ़वाल एक प्रथक जनपद के रूप में गठित हुआ इससे पूर्व यह टिहरी रियासत कहलाता था इसी से काटकर 1960 में उत्तरकाशी तथा 1997 में रुद्रप्रयाग जिला बनाया गया।

   नई टिहरी का निर्माण

टिहरी बांध निर्माण के फलस्वरूप  शासन ने पुरानी टिहरी के बदले ऋषिकेश से कुछ किमी0 की दूरी पर नई टिहरी नाम से एक नया नगर बसाया और लोगों का पुनर्वास किया टिहरी जनपद का मुख्यालय कुछ वर्षों तक नरेंद्र नगर किंतु नई टिहरी के निर्माण के बाद सभी कार्यालय यही स्थानांतरित हो गए।

     सामान्य ज्ञान की (general knowledge) दृष्टि से टिहरी बांध का अहम महत्व है.uttarakhand gk की तैयारी करने वक्त प्रमुख झील और बांधों की जानकारी जरूरी है.

   राजाशाही के विरुद्ध 23 जनवरी 1939 में देहरादून में टिहरी प्रजामंडल की स्थापना हुई   

टिहरी जनपद की भौगोलिक स्थिति:

  इस जनपद का क्षेत्रफल 3642 वर्ग किमी है

राज्य में सर्वाधिक वर्षा टिहरी के नरेंद्र नगर में होती है

 जिले का आकार तितली की तरह है

राज्य की 4 आंतरिक जिलों में एक टिहरी जनपद भी है

जिले की सीमा 4 जिलों से लगती है (उत्तरकाशी देहरादून, पौड़ी और रुद्रप्रयाग) 

टिहरी जिले का प्रशासन:

जनपद की जनसंख्या -6,18,931

जिले की दशकीय की वृद्धि दर– 2.35%

विकासखंड – 10

 जनसंख्या घनत्व– 170

 लिंगानुपात  – 1078

 साक्षरता दर – 76.36%

 महिला साक्षरता दर – 64.28%

जनपद की में पुरुष साक्षरता दर – 89.76%

 

          विधानसभा क्षेत्र-06

  1. धनोल्टी
  2. प्रतापनगर
  3. नरेंद्रनगर
  4. टिहरी
  5. देवप्रयाग
  6. घनसाली- आरक्षित(s.c.)

 

      टिहरी जिले में  कुल तहसील

1.गजा 2. नैनबाग 3. कीर्तिनगर 4. बालगंगा 5. टिहरी 6. प्रताप नगर 7. नरेंद्रनगर 8. कंडीसौड़

  1. जाखणीधार 10. धनोल्टी 11. घनसाली             12. देवप्रयाग

 

    प्रमुख स्थल

       देवप्रयाग

देव प्रयाग टिहरी जनपद
देव प्रयाग

देवप्रयाग भागीरथी और अलकनंदा  नदियों के संगम पर ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है इस नगर के निकट दो झूला पुल (एक भागीरथी पर तथा एक अलकनंदा पर) हैं।

यहीं पर दो प्रसिद्ध कुंड जिन्हें ब्रह्म कुंड (भागीरथी की ओर) व वशिष्ट कुंड( अलकनंदा की ओर) कहते हैं पंच प्रयाग में यह स्थल सर्वाधिक महत्व का है यहां  एक आश्चर्य है कि इस क्षेत्र में कौवे नहीं दिखाई पड़ते हैं।

महाभारत में देवप्रयाग को समस्त तीर्थों का शिरोमणि तथा समग्र पापों का विनाशक बताया गया है

देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र एवं इंद्र प्रयाग भी कहा जाता है।

यहां भगवान राम ने रावण वध के पश्चात यहां की यात्रा की थी यहीं पर रघुनाथ मंदिर इस घटना का साक्षी है जो कि द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर की प्रतिष्ठापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर माधव सिंह भंडारी की पुत्रवधू मथुरा वैराणी द्वारा गढ़वाल राज्य वंश के अधिपति पृथ्वीशाह के शासनकाल का एक लेख अंकित है

 

   नरेंद्र नगर

नरेंद्र नगर
नरेंद्र नगर

यह नगर मुनी की रेती( ऋषिकेश) से 15-16 किमी0 उत्तर दूरी पर स्थित है पहले यह नगर गढ़वाल राज्य की राजधानी रहा कुछ वर्ष पूर्व तक यह नगर टिहरी गढ़वाल का मुख्यालय भी बना  रहा,परंतु नई टिहरी शहर के निर्माण के बाद नई टिहरी को ही जिले का मुख्यालय बनाया गया।

यहां महाराजा नरेंद्र शाह द्वारा बनाया गया राज महल है जिसे आनंद स्पा कहते हैं

 

    नाग टिब्बा

नाग टिब्बा लंबी पदयात्रा एवं साहसिक कार्यों में अभिरुचि रखने वालों पर्यटकों के लिए संपूर्ण अवसर प्रदान करता है यह क्षेत्र घने जंगलों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है पर्यटक यहां से हिमालय का सुंदर दृश्य देख सकते हैं

 

     चंबा

गंगोत्री मार्ग पर मसूरी से 55-60 किमी0 की दूरी पर चंबा नगर स्थित है यह नगर हिमाच्छादित हिमालय शिखरों एवं पवित्र भागीरथी घाटी के मनोरम दृश्य को प्रस्तुत करता है मसूरी, ऋषिकेश, टिहरी, एवं नई टिहरी से आने वाले मुख्य मार्गों के संगम स्थल पर स्थित होने के कारण यहां एक केंद्र-बिन्दु के रूप में स्थापित हो गया है।

विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त करने वाले गब्बर सिंह नेगी यही के थे उनकी स्मृति में यहां प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को मेला लगता है।

 

धनोल्टी

मसूरी चंबा मार्ग पर स्थित यह स्थल स्थित है देवदार एवं बाँज के घने एवं अक्षत वनों के मध्य स्थित धनोल्टी शांत वातावरण का एक आदर्श स्थल है।

  केंपटी जलप्रपात

कैम्पटी फाल
कैम्पटी फाल

यहां स्थल मसूरी यमुनोत्री मार्ग पर मसूरी से 15 किमी0 की दूरी पर टिहरी जिले में स्थित है केंपटी जलप्रपात विशालतम एवं मनोरम  जल प्रपात होने की विशेषता रखता है यह चारों ओर से विशाल पर्वतों से घिरा है।

 

   कीर्ति नगर

यह टिहरी जनपद में छोटा नगर निकाय है।

 यहां शिव मंदिर के पास अलकनंदा नदी के तट पर पवित्र स्नान किया जाता है जिसे डुंडप्रयाग के नाम से जाना जाता है।

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   घनसाली

 

uttarakhand gk की तैयारी
घनसाली

यह टिहरी में एक पर्यटक स्थल है।

 यह बालगंगा एवं भिलंगना नदी के तट पर स्थित है।

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