Uttarakhand gk की practice कैसे करें?
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प्रत्येक जनपद की संपूर्ण जानकारी बहुत ही सरल भाषा में सहेजकर लाये हैं.आज जानते हैं जनपद रुद्रप्रयाग की संपूर्ण जानकारी .
जनपद रुद्रप्रयाग सामान्य परिचय:
uttarakhand gk की practice के लिए प्रत्येक जनपद का सामान्य अध्ययन अलग-अलग करना जरूरी है.
रुद्रप्रयाग जिला उत्तराखंड के मुख्य तीर्थ स्थल है। केदारनाथ से बद्रीनाथ धाम की यात्रा का मुख्य पड़ाव है। यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर बसा है। पंच प्रयाग में से एक प्रयाग है ।महाभारत काल में रुद्रप्रयाग का नाम रूद्रवर्त था।
जनपद का गठन 18 सितंबर 1997 को टिहरी, पौड़ी व चमोली जिलों से काटकर किया गया है
पंच केदारों में तीन केदार रुद्रप्रयाग जिले में है-केदारनाथ, तुंगनाथ,व मदमहेश्वरनाथ
रुद्रप्रयाग को 2002 में नगर पंचायत व 2006 में नगर पालिका बनाया गया।
रुद्रप्रयग जनपद का भौगोलिक विस्तार:
जिले का क्षेत्रफल 984 वर्ग किमी0 है क्षेत्रफल की दृष्टि से रुद्रप्रयाग का 12वां स्थान है।
रुद्रप्रयाग जिले से 4 जिलों की सीमा लगती है चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी व पौड़ी यह राज्य का एक आंतरिक जिला है।
रुद्रप्रयाग मुख्यता मध्य व बृहत्त हिमालय क्षेत्र में पड़ता है।
जनपद का प्रशासन
जिले की कुल जनसंख्या– 2,42,285
रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट-2( रुद्रप्रयाग व केदारनाथ)
जनपद की तहसील– 4
( ऊखीमठ, जखोली,वसुकेदार, रुद्रप्रयाग)
जनपद में विकासखंड-3
( ऊखीमठ, जखोली व अगस्तमुनि)
जिले का जनघनत्व- 122
जिले का लिंगानुपात– 1114
जनपद की कुल साक्षरता-81.30%
पुरुष साक्षरता दर-93.90%
महिला साक्षरता दर -70.35%
रुद्रप्रयाग जनपद का पुरुष साक्षरता की दृष्टि से राज्य में प्रथम स्थान है।
जिले के प्रमुख स्थल
ऊखीमठ
मंदाकिनी के तट पर स्थित यह मठ केदारनाथ के रावल पुजारियों का निवास तथा केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय है।ऊखीमठ केदारनाथ का शरद ऋतु का निवास स्थल है। जब शरद ऋतु में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। तो भगवान केदारनाथ की पूजा उखीमठ में की जाती है। यहाँ प्रसिद्ध ओंकारेश्वर शिव मंदिर है जिसका निर्माण शंकराचार्य जी ने कराया था।
सोनप्रयाग
यह स्थल बासुकी एवं मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है इसी के निकट कैलाश मंदिर भी है।
अगस्त मुनि
यह स्थल मंदाकिनी और घूलगाड़ नदी के संगम पर स्थित है यहां ऋषि अगस्त ने वर्षों तक तप किया था।
गुप्तकाशी
काशी के समान ही यहां गुप्तकाशी का महत्व है यहां मुख्य रूप से विश्वनाथ मंदिर अर्धनारेश्वर मंदिर एवं मणिकार्निक कुंड है।
कालीमठ सिद्ध पीठ
तांत्रिक सिद्ध पीठों में कालीमठ प्रसिद्ध है। यहां महाकाली मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। बल्कि एक रजत मंडित बेदिका है ।और इसी की पूजा की जाती है शरद नवरात्रि को यहां सप्तमी के दिन मेला लगते हैं
कालिदास की जन्मस्थली कविल्टा यहीं पर स्थित है।
प्रमुख मंदिर
पंचकेदार – केदारनाथ , तुंगनाथ, मदमहेश्वर नाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर)
पंच केदार में से केदारनाथ, तुंगनाथ, व मदमहेश्वर नाथ रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग में स्थित यह मंदिर12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यह मंदिर मंदाकिनी नदी के शीर्ष पर स्थित है इसी की महत्ता के कारण ही गढ़वाल का प्राचीन नाम केदारखंड पड़ा था।
यह मंदिर खर्चाखंड, भरतखंड और केदारनाथ शिखरों के मध्य स्थित है मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है ।इसके निर्माण में भूरे रंग के विशाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
यह मंदिर छत्र प्रसाद युक्त है। इसके गर्भगृह में चकोर आकृति की एक बहुत बड़ी ग्रेनाइट की शिला है। भक्तगण इसी की पूजा करते हैं। ग्रेनाइट के इस लिंग के चारों ओर आर्घा है जो अति विशाल है और एक ही पत्थर का बना है इसी स्वयंभू केदारलिंग की उपासना पांडवों ने भी की थी।
यहां अनेक कुंड है इसी मंदिर के निकट आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि है राहुल सांकृत्यायन इस मंदिर का निर्माण काल दसवीं से बारहवीं सदी बताते हैं।
मद्महेश्वर नाथ
पंच केदारों में इसे द्वितीय केदार माना जाता है यह मंदिर चौखंबा शिखर पर स्थित है यह भी केदारनाथ मंदिर के समान छत्र- शैली का है।
यह मंदिर पांडव शैली में निर्मित है वर्षा ऋतु में इसके आसपास ब्रह्मकमल खिलते हैं यहां भगवान शिव की नाभि की पूजा होती है।
तुंगनाथ
यह मंदिर उखीमठ गोपेश्वर मार्ग पर चंद्रशिला पर्वत पर स्थित है यहां आदि गुरु शंकराचार्य की 2.5 फुट लंबी मूर्ति है।
यहां शिव के हाथ की पूजा होती है पंच केदार में इसे तृतीय केदार कहा जाता है .शीतकाल में तुंगनाथ की पूजा मक्कूमठ में होती है इसी मंदिर से कुछ ही दूरी पर रावण शिला भी है।
तुंगनाथ उत्तराखंड में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है।
इसके अलावा- अर्धनारेश्वर मंदिर, कोटेश्वर महादेव, बाणासुर गढ़ मंदिर, त्रियुगी नारायण मंदिर, मां हरियाली देवी मंदिर आदि रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है।
जनपद की ताल एवं झीलें
गांधी सरोवर ताल
रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर से कुछ किमी0 की दूरी पर स्थित है। इस ताल में 1948 में महात्मा गांधी की अस्थियां प्रवाहित की गई थी। इसीलिए इस ताल को गांधी सरोवर भी कहते हैं। इसके अलावा इसे चौरा बाड़ी ताल भी कहा जाता है।
देवरिया ताल
रुद्रप्रयाग जिले में उखीमठ के पास स्थित है ।पुराणों में इस ताल को इंद्र सरोवर कहा गया है।
बदाणी ताल
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित यह ताल लस्तर गाड़ से लगता हुआ जखोली से कुछ किमी0 की दूरी पर स्थित है। बदाणी झील के किनारे प्रत्येक वर्ष मेला लगता है।
इसके अलावा- वासुकी ताल,भेंकताल (अंडाकार ताल )व सुखदी ताल आदि रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
चोराबाड़ी ग्लेशियर
इस ग्लेशियर की लंबाई 14 किमी0 है। इससे अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी नदी निकलती है इसी ग्लेशियर के निकट प्रसिद्ध गांधी सरोवर है।
केदारनाथ की सबसे बड़ी आपदा 16-17 जून 2013 में जिसे रुद्रप्रयाग जनपद में काफी बड़ा नुकसान हुआ इसी ग्लेशियर के कुछ हिस्सा टूटकर गांधी सरोवर में जा गिरा था।
जिसके कारण गांधी सरोवर का एक कोना टूटने से मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ गया,और रुद्रप्रयाग जनपद में इतनी बड़ी आपदा आई।
केदारनाथ घाटी में आपदा राहत के लिए सेना ने ऑपरेशन सूर्यहोप मिशन चलाया। जिसके तहत आपदा में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया। केदारनाथ आपदा के कारण मंदिर में 86 दिनों तक पूजा बाधित रही ।
मंदाकिनी नदी
मंदाकिनी नदी रुद्रप्रयाग जनपद में चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है
मंदाकनी सहायक नदी
मधुगंगा
लस्तर
रावण गंगा
सोन नदी
मधुगंगा और मंदाकिनी नदी का संगम कालीमठ के पास होता है।
सोन नदी और मंदाकिनी नदी का संगम सोनप्रयाग में होता है
चोराबाड़ी ग्लेशियर मंदाकिनी नदी का जल स्रोत है केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है
तुलसीदास ने रामचरितमानस में मंदाकिनी को सुरसरि की धारा कहा है
प्रमुख कुंड
गौरीकुंड (गर्म पानी का कुंड)
नंदी कुंड( ठंडे पानी का कुंड)
इसके अलावा- पार्वती कुण्ड, सरस्वती (त्रियुगीनारायण मंदिर के पास) हंस कुण्ड, रंभा कुण्ड आदि रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
प्रमुख गुफाएं
कोटेश्वर गुफा
रुद्रप्रयाग शहर के पास अलकनंदा नदी के किनारे पर यह गुफा कोटेश्वर महादेव के नाम से जानी जाती है।
केदारनाथ मंदिर के पास ध्यान गुफा बनी हुई है इस गुफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साधना की थी।
इसके अलावा- ब्रह्म गुफा व भीम गुफा( केदारनाथ के पास) रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है।
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