Uttarakhand gk in Mobile: जानें पिथोरागढ़ भाग-01

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जैसा कि आप टाइटल में देख रहे हैं.Uttarakhand gk in Mobile बिल्कुल सही पढ़े है आप. उत्तराखंड का सामान्य ज्ञान अब आप अपने मुठ्ठी में लेकर कहीं भी पढ़ सकते हैं.बस आपके पास एक एंड्राइड मोबाइल होना चाहिये . तो 1 क्लिक में ही आप uttarakhand gk को download कर सकते हैं.आज इस अंक में हम जनपद पिथौरागढ़ का अध्य्यन करने वाले हैं.पिथौरागढ़ जनपद भौगौलिक रूप से ही नहीं बल्कि प्रतियोगिता परिक्षाओं की दृष्टि से भी खास महत्व रखता है.

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान अब मोबाइल में(Uttarakhand Gk in mobile )

हमने पाठकों को Uttarakhand gk books से निजात दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की है.संपूर्ण सामान्य ज्ञान अब pdf में कभी भी कहीं भी पढ़ सकते हैं.आज इस अंक में पिथौरागड़ जनपद के बारे में जानते हैं.अगर आपने हमारे पिछले अंक नहीं पढ़े हैं तो अंत में link दे रहा हूँ,वहां से डाउनलोड कर सकते हैं.

(Uttarakhand gk )पिथौरागढ़ जनपद का इतिहास(History of Pithoragarh)

चंदों द्वारा अधिकृत किए जाने से पूर्व यह क्षेत्र डोटी  के बम शासकों के अधीन था और यहां पर छोटे-छोटे नौ ठकुरी शासकों का शासन था. जिस कारण इसे नौ ठकुरी सोर भी कहा जाता है. इन नौ ठुकरी शासकों में एक का नाम पिथौराशाही था जिसके नाम पर इस जिले का वर्तमान नाम पड़ा. इसे छोटा कश्मीर भी कहा जाता है.

◆ सर्वप्रथम पिथौरागढ़ में खस राजवंश ने शासन किया .इनको ही  पिथौरागढ़ में किले या कोर्ट निर्माण का श्रेय दिया जाता है. यहां उदयकोट, भटकोट,व डूंगरकोट आदि किले हैं खसों के बाद पिथौरागढ़ में मल्ल  वंश का शासन रहा.

◆ यहां प्रसिद्ध सिमलगढ़ किला( दुर्ग ) गोरखाकाली निर्मित है अंग्रेजों ने इसे लंदन फोर्ट का नाम किया.

◆ जनपद का प्राचीन नाम सोर है सोर नाम का प्रथम उल्लेख बास्ते अभिलेख में मिलता है.

नेपाल- चीन के बॉर्डर पर स्थित पिथौरागढ़ को 24 फरवरी 1960 को अल्मोड़ा से अलग कर एक नया जनपद बनाया गया. 1972 में चंपावत को भी इसी में मिलाया गया और बाद में 1997 में चम्पावत को एक अलग जिला बना दिया गया.

पिथौरागढ़ की भौगौलिक संरचना:(Uttarakhand general knowledge)

पिथौरागढ़ समुद्र तल से लगभग 1637 मीटर की ऊंचाई पर कटोरी की आकृति वाला सोर घाटी में बसा है इसके मैदानी भाग सैनी सोर व पहाड़ी भाग सोर कहलाता है

पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल-7090 वर्ग किमी0

क्षेत्रफल की दृष्टि से चमोली एवं उत्तरकाशी के बाद तीसरा सबसे बड़ा जनपद है

◆ पिथौरागढ़ सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला जनपद है

◆ जिले की सीमा नेपाल व चीन से लगती है

◆ पिथौरागढ़ जिले की( चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर व चमोली) चार जिलों  से सीमाएं लगती हैं

Uttarakhand gk :अध्ययन:प्रमुख दर्शनीय स्थल जनपद पिथौरागढ़

मुनस्यारी

इसे जोहार क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहा जाता है मुनस्यारी का प्राचीन नाम तिकसेन है यहां से हिमालय की बर्फीली चोटियों के साथ ही नैनीताल की भी चोटियां दिखाई देती हैं मुनस्यारी ऊनी वस्तुएं- साल, दन, कालीन, पंखी, जड़ी बूटियां आदि मिलती हैं यहां से रालम, नामिक और मिलम ग्लेशियर के लिए रास्ता जाता है

◆ यहां पर विरथी वाटरफॉल एक ट्रैकिंग स्थल है

◆ भारत का प्रथम लाइकेन (कवक) गार्डन यही मुनस्यारी में स्थित है

◆ नैन सिंह रावत पर्वतारोहण संस्थान भी यही है

◆ कालामुनी मंदिर यही वर्धमान पहाड़ी पर स्थित है

गंगोलीहाट

पिथौरागढ़ जिले में स्थित यह स्थान सरयू और रामगंगा नदी के बीच स्थित है यह स्थल महाकाली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है यही शंकराचार्य द्वारा शक्ति पीठ की स्थापना की गई थी यहां कुछ ही दूरी पर रावलगांव में पुरातत्व महत्व का जाहान्वी नौला गुप्त गंगा के नाम से प्रसिद्ध है इस नौला के एक लेख में मनकोटी राजाओं के बारे में उल्लेख मिलता है इस लेख से यह पता चलता है कि यहां मनकोटी राजाओं का शासन रहा 

◆ गंगोलीहाट किला 1789 गोरखों द्वारा बनाया गया था

पाताल भुवनेश्वर

गंगोलीहाट के पास पाताल भुवनेश्वर मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है जिसमें सूर्य, विष्णु, उमा महेश्वर, महिषासुरमर्दिनी आदि कई प्राचीन मूर्तियां है माना जाता यहां 33 करोड़ देवी- देवताओं का निवास स्थान हैं इसी गुफा में चारों युगों के प्रतीक के रूप में 4 शिलाएं हैं गुफा में कहीं द्वार है जिनमें से नृसिंह, शेषनाग, रानी धर्म, व मोक्ष द्वार मुख्य हैं यहां जमीन से 120 मीटर की गहराई में शिवलिंग है यही पातालगंगा नदी भी है

अस्कोट

कत्यूरी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध  यह स्थान जनपद मुख्यालय से कुछ किमी की दूरी पर स्थित है यहां सर्वाधिक कस्तूरी मृग वाला वन्य जीव विहार है

धारचूला

पिथौरागढ़ से 96 किमी दूर काली नदी तट पर भारत नेपाल सीमा पर स्थित है यहां से कैलाश-मानसरोवर छोटा कैलाश तथा नारायण आश्रम के लिए मार्ग जाता है यह ऊनी कालीन के लिए प्रसिद्ध है

रामेश्वर

पिथौरागढ़ से 35 किमी की दूरी पर  पूर्वी रामगंगा और सरयू नदी के संगम पर स्थित है यहां एक सूरजकुंड है यहां हर वर्ष मकर संक्रांति को एक विशाल मेला लगता है

छिपलाकेदार

लगभग 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है इसका मुनस्यारी एवं धारचूला के  लोगों के लिए हरिद्वार के समान महत्त्व है केदारनाथ की पूजा करने के लिए यहां के लोग जात के रूप में छिपलाकेदार की यात्रा करते हैं

थलकेदार

अपने सौंदर्य एवं प्राकृतिक सुषमा से प्रसिद्ध यह स्थान मुख्यालय से 16 किमी की दूरी पर स्थित है शिवरात्रि को यहां विशाल मेले का आयोजन होता है इसे केदार ज्यू के नाम से भी जाना जाता है

बेरीनाग

चाय बागान के लिए प्रसिद्ध स्थान मुख्यालय से 102 किमी की दूरी पर स्थित है यहां से हिम श्रृंखलाओं के दर्शन किए जा सकते हैं बेरीनाग से कुछ किमी की दूरी  गरुड़ प्रपात स्थित है

चौकड़ी

पिथौरागढ़ से 112 किमी वह बागेश्वर से 43 किमी की दूरी पर स्थित है यहां के दर्शनीय स्थलों में कोटमन्या में   कस्तूरी मृग फार्म एवं धर्म घर में हिमदर्शन कुटीर मुख्य है 

पिथौरागढ़ में स्थित प्रमुख दर्रे:

आपको जो जानकारी इस पोर्टल पर मिलती है,वह uttrakhand gk की किसी एक book में नहीं मिल पाएगी.

Uttarakhand gk in Mobile: जानें पिथोरागढ़ भाग-01
मैप पिथौरागढ़

चाहे आप uttrakhand gk in english की किताब में ढूंढो,या uttarakhand gk in hindi की ,ऐसी unique जानकारी सिर्फ हमारे टॉपिक uttarakhand gk in mobile के अतिरिक्त कहीं नहीं मिल सकेगा.चलते इस अंक को प्रसिद्ध

लिपुलेख,दारमा,नवीधुरा,मांसिया-लाम्पिया,ऊटी जयंती, दर्रे पिथौरागढ़ और तिब्बत के बीच में स्थित है

◆ बराहोती,लातुधुरा,टोपिढुंगा, मार्चयोग दर्रे चमोली और पिथौरागढ़ के बीच में स्थित है

◆ ट्रेलपास दर्रा पिथौरागढ़- बागेश्वर के बीच स्थित है

◆ ट्रेलपास दर्रा की खोज कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल ने 1830 में की जिनके नाम पर इसका  नाम रखा गया

◆ लासपा दर्रा चंपावत- पिथौरागढ़ के बीच स्थित है

◆ सिनला दर्रा दारमा और व्यास घाटी के बीच में स्थित है

जनपद पिथौरागढ़ की मुख्य चोटियाँ

खलिया टॉप मुनस्यारी में ट्रेकिंग स्थल है

◆ कुचेला धूरा पीक पिथौरागढ़ के लावा ग्लेशियर के पास है

◆ चौधरा चोटी, सुली पीक, नागलफू चोटी, बुरफु धुरा पीक आदि चोटियां पिथौरागढ़ में स्थित है

Conclusion

Uttrakhand gk in mobile जनपद पिथौरागढ़ भाग-1 का ये अंक कैसा लगा.अपनी राय और सुझाव देना न भूले .कल पिथोरागढ़ जनपद के दूसरे भाग के साथ फिर मिलते हैं.

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