इसलिये बने आधुनिक भारत के निर्माता चाचा प0 जवाहरलाल नेहरू:AIIMS से लेकर अखण्ड भारत बनाया
नेहरू के खानदान का इतिहास:
जब भी प0 जवाहरलालनेहरू के देश के लिए योगदान की बात आती है तो,सामने AIIMS,IIT,भाखडा बांध,रिहन्द बांध,अखण्ड भारत और मजबूत लोकतंत्र की तस्वीर नजर आती है.प0 जवाहरलाल नेहरू के पूर्वज कश्मीर के ब्राह्मण थे.जिनको पंडित राजकौल कहा जाता था. मुगल शासक औरंगजेब की मृत्यु के बाद कौल परिवार दिल्ली आ गया. उस वक्त दिल्ली का शासक फरुखसियर था .उसनेउनको नहर के किनारे मकान और जागीर दी.नहर के किनारे रहने के कारण नेहरू के खानदान का नाम ‘नेहरू’ पड़ा .
प0 जवाहरलाल नेहरू का जन्म
पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू था . जिनका जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुवा था.
1857 की क्रांति के समय नेहरू परिवार दिल्ली से आगरा आ गए थे.यहीं मोती लाल नेहरू का जन्म हुआ.मगर वो अपने पिता को देख नहीं पाए थे.उनके जन्म से 4 माह पहले ही फरवरी 1861 को मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू का देहांत हो गया.
उनका पालन पोषण उनके दो ताऊ नन्द लाल नेहरू और वंशीधर नेहरू ने किया .
पं0 जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर सन 1889 को ‘आनंद भवन’ इलाहाबाद(प्रयागराज) में हुवा था.
प0 नेहरू की शिक्षा :
बचपन से ही शाही घराने में पले- बड़े पंडित जवाहरलाल नेहरू को शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया.हैरो कालेज लन्दन में उनका प्रवेश हो गया.हैरो कालेज में रहते हुए ही उन्होंने सन 1907 में केम्ब्रिज की एंट्रेन्स परीक्षा पास कर ली.उनको ट्रिनिटी कालेज केम्ब्रिज में प्रवेश मिल गया.पंडित नेहरू ने केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से B.A.ऑनर्स किया.दिलचस्प बात है कि उनके प्रदर्शन को देखते हुए कालेज ने उनको M.A.की डिग्री बिना परीक्षा के ही प्रदान कर दी.ततपश्चात नेहरू जी ने 1912 में इनर टेम्पुल से वार एट लॉ की डिग्री हांसिल की.
नेहरू जी का विवाह
विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे स्वदेश लौट आये.भारत लौटने के बाद उनका विवाह कमला नेहरू के साथ हुवा.उनकी तीन सन्तानें हुईं मगर केवल इंदिरा गांधी ही जीवित रह पायीं.
1-देश को दिए IIT,IIM और कई बहुउद्देश्यीय बांध:
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को आधुनिक बनाने के लिए जो काम किए उन्हें बुलाया नहीं जा सकता है. और यही कारण है कि उन्हें ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ कहा जाता है. उन्होंने शिक्षा से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए कई काम किए. उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों की स्थापना की. साथ ही उद्योग धंधों की भी शुरूआत की. उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध और बोकारो इस्पात कारख़ाना की स्थापना की थी. वह इन उद्योगों को देश के आधुनिक मंदिर मानते थे.
2-मजबूत लोकतन्त्र की नींव रखी
1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए थे. नेहरू लोकतंत्र में आस्था रखते थे. आम चुनाव 1957 और 1962 में लगातार जीत के बाद भी उन्होंने विपक्ष को पूरा सम्मान दिया. संसद में नेहरू विपक्षी नेताओं की बात ध्यान से सुनते थे. 1963 में अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बावजूद भी उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना मंज़ूर किया. अटल जी ने पंडित नेहरू से कहा था कि उनके अंदर चर्चिल भी है और चैंबरलिन भी है. लेकिन नेहरू उनकी बात का बुरा नहीं माने. उसी दिन शाम को दोनों की मुलाकात हुई तो नेहरू ने अटल की तारीफ की और कहा कि आज का भाषण बड़ा जबरदस्त रहा. नेहरू विपक्ष के नेताओं द्वारा की गई आलोचना का बुरा नहीं मानते थे और उनका सम्मान करते थ
3-पंचवर्षीय योजना की नींव रखी
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी दूरदृष्टि और समझ से जो पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं उनसे देश को आज भी लाभ मिल रहा है. पहली पंचवर्षीय योजना 1951-56 तक लागू हुई. शुरुआत में लोगों के मन में इस योजना के सफल होने को लेकर संदेह था. लेकिन 1956 में पहली पंचवर्षीय योजना के नतीजों ने इस पर आशंकाएं कम कर दीं. इस योजना के दौरान विकास दर 3.6 फीसदी दर्ज की गई. इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय सहित अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हुई. पहली पंचवर्षीय योजना कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखकर बनाई गई तो दूसरी (1956-61) में औद्योगिक क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया.
4-अखण्ड भारत का निर्माण
जब दक्षिण भारत में अलग देश की मांग उठी तब नेहरू ने जो फैसला लिया उसने देश की एकता और अखंडता को और भी मजबूत कर दिया. ‘द्रविड़ कड़गम’ पहली ग़ैर राजनीतिक पार्टी थी जिसने द्रविड़नाडु (द्रविड़ों का देश) बनाने की मांग रखी. द्रविड़नाडु के लिए आंदोलन शुरू हुआ. लेकिन नेहरू ने देश की अंखडता को बनाए रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया.
नेहरू की की अगुवाई में कैबिनेट ने 5 अक्टूबर 1963 को संविधान का 16वां संशोधन पेश कर दिया. और इसी के साथ अलगावादियों की कमर टूट गई. इस संशोधन के माध्यम से देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान रखे गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत ‘मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा’ जोड़ा गया. संविधान के इस संशोधन के बाद द्रविड़ कड़गम को द्रविड़नाडु की मांग को हमेशा के लिए भूलना पड़ा.
5- गुटनिरपेक्षता और विदेश नीति
प0 जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत किसी भी देश के दबाव में न आए और विश्व में उसकी स्वतंत्र पहचान हो. जवाहरलाल नेहरु की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा था उनका पंचशील का सिद्धांत जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखना और दूसरे राष्ट्र के मामलों में दखल न देने जैसे पांच महत्वपूर्ण शांति-सिद्धांत शामिल थे. नेहरू ने गुटनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया. गुटनिरपेक्षता का मतलब यह है कि भारत किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन नहीं करेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बरकरार रखेगा.
6-AIIMS की परिकल्पना

यह बात भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक बाद की है.भारतीय खजाने में कुछ खास धन नहीं था फिर भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लगातार एक आधुनिक भारत का सपना ना केवल बन रहे थे बल्कि उस पर काम भी कर रहे थे. भारत को विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का शक्तिशाली केंद्र बनाने की दिशा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने न केवल डिजाइन तैयार करवाया बल्कि उस पर काम भी किया.वह चाहते थे कि भारत में एक ऐसा चिकित्सा संस्थान बने जो दक्षिण पूर्व एशिया में मेडिकल रिसर्च का केंद्र बन जाए.आज उनकी इस परिकल्पना से एम्स दुनियाँ के गिने चुने संस्थानों में एक है.
7-परमाणु ऊर्जा आयोग और BARC की स्थापना
भारत का परमाणु कार्यक्रम डा॰ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ. 6 जनवरी सन् 1954 को परमाणु उर्जा आयोग के द्वारा परमाणु उर्जा संस्थान (ए ई ई टी) के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा २० जनवरी सन् 1957, को राष्ट्र को समर्पित किया गया. इसके बाद परमाणु उर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर 12 जनवरी सन् 1967 को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि 24 जनवरी सन् 1966 में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी.
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